बलरामपुर अस्पताल के चिकित्सकों ने मासूम में बनाया मलद्वार

जन्मजात बीमारी एनोरेक्टल मालफॉर्मेशन की सफल सर्जरी
लखनऊ। बलरामपुर अस्पताल के डॉक्टरों ने जन्मजात बीमारी एनोरेक्टल मालफॉर्मेशन (हाई एआरएम) की सफल सर्जरी करने में कामयाबी हासिल की। बीमारी से पीड़ित मासूम में जन्मजात मलद्वार नहीं था। बलरापुर के डाक्टरों ने केजीएमयू चिकित्सकों के मदद से ऑपरेशन कर मासूम में मलद्वार बना दिया। अब मासूम पूरी तरह से स्वस्थ है।
बलरामपुर अस्पताल के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. अखिलेश कुमार ने बताया कि सीतापुर टांडा निवासी रामू के एक साल के बेटे अयान कुमार जन्मजात बीमारी इंपरफोरेट एनस (बिना गुदा या मल द्वार के छिद्र के जन्म होना) की समस्या से पीड़ित था। जन्म के समय ही परिजनों ने लखनऊ के एक निजी अस्पताल में नवजात का ऑपरेशन करवाया था। ऑपरेशन सफल नहीं रहा था। दोबारा समस्या होने पर परिजन मासूम को लेकर बलरामपुर अस्पताल पहुंचे थे, जहां डॉ. अखिलेश कुमार ने उसे देखकर ऑपरेशन करने की बात परिजनों से कही। परिजनों की सहमति पर डॉक्टर अखिलेश ने केजीएमयू के पीडियाट्रिक सर्जनी डॉ. जेडी रावत से बात की।
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डॉ. रावत के सहयोग से ऑपरेशन के लिए केजीएमयू से पीडियाट्रिक सर्जन्स की टीम बलरामपुर अस्पताल भेजी गई। उन्होंने बताया कि मरीज को पोसटेरियर सेगीटल एनोरेक्टोप्लास्टी (पीएसएआरपी) नामक जटिल सर्जरी करीब साढ़े चार घंटे तक की गई। अहम बात रही कि मासूम का ऑपरेशन सामान्य एनेस्थीसिया देकर ही किया गया। अब बच्चा सामान्य रूप से खानपान, मल त्याग आदि कर रहा है।
ऑपरेशन करने वाली टीम
ऑपरेशन करने वालों में मुख्य सर्जन में बलरामपुर के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. अखिलेश कुमार, केजीएमयू के डॉ. जेडी रावत, डॉ. गुरमीत सिंह, एनेस्थीसिया डॉ. एमपी सिंह, डॉ. एसए मिर्जा, डॉ. जूही पाल, नर्स सीमा पांडेय, निर्मला, कृष्ण, राजू शामिल रहे। पहली बार बलरामपुर में इस तरह की जटिल सर्जरी होने पर अस्पताल के निदेशक डॉ. सुशील प्रकाश, सीएमएस डॉ. संजय तेवतिया, एमएस डॉ. हिमांशू चतुर्वेदी ने टीम को बधाई दी।