मायावती भाजपा को नहीं रोक पा रहीं, इसलिए दलितों ने उन्हेें छोड़ा

समाजवादी पार्टी अम्बेडकर वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमएल भारती का कहना है कि जबतक दलितों को इस बात का भरोसा था कि बहनजी भाजपा को सत्ता में आने से रोक देंगी, तबतक दलित समाज पूरी तरह से बसपा के साथ था। लेकिन अब दलितों को इस बात का पूरा भरोसा हो गया है कि मायावती जी भाजपा को सत्ता में आने से किसी भी कीमत पर नहीं रोक पाएंगी।
यही वजह रही कि राज्य में तीन साल पहले हुए विधानसभा चुनाव और एक साल पहले हुए लोकसभा चुनाव में दलितों ने बसपा से दूरी बना ली और संविधान और आरक्षण बचाने की लड़ाई लड़ रहे सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ जुड़ गया और लोकसभा चुनाव में तो दलित समाज ने पूरी तरह से सपा-कांग्रेस गठबंधन को वोट दिया, इसी का नतीजा रहा कि भाजपा का चार सौ सीटें पार का नारा हवाहवाई साबित हुआ और भाजपा के संविधान बदलने के मंसूबों पर पानी फिर गया। यूपी में तो भाजपा ३४ सीटों पर ही सिमट कर रह गयी और अकेले अपने दम पर बहुमत भी नहीं ला सकी। सरकार चलाने के लिए उसेे दो बैशाखियों का सहारा लेना पड़ रहा है। भारती ने स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं है कि दलित समाज बहनजी से नाराज है। बल्कि उसे अब इस बात का पूरी तरह से भरोसा हो गया है कि बहनजी के मैदान में रहने से भाजपा और मजबूत होगी। यही वजह है कि दलितों ने बसपा से किनारा कर लिया है। उम्मीद है कि ये वर्ग राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से सपा-कांग्रेस यानि इंडिया गठबंधन के साथ खड़ा होगा और भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए बसपा को वोट देने से परहेज करेगा। उनका कहना है कि लोकसभा चुनाव में दलितों ने भाजपा को ट्रेलर दिखाया है। पूरी पिक्चर अभी बाकी है, विधानसभा में दलित-पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समाज पूरी तरह से सपा-कांग्रेस गठबंधन को वोट देगा और यूपी से भाजपा का सफाया कर देगा। एमएल भारती से इन्हीं तमाम ज्वलंत मुद्दों पर बातचीत हुई, जिसका उन्होंने बहुत ही बेबाकी के साथ जवाब दिया।
सवाल- अखिलेश यादव पर तो दलित विरोधी होने के आरोप लगते रहे हैं, आप क्या कहेंगे ?
जवाब- देखिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव जी को इस बात का यकीन हो गया है कि मनुवादी मानसिकता से ग्रसित गैर बराबरी के आधार पर जातीय व सामाजिक व्यवस्था लागू करने की पक्षधर भाजपा को दलित-पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समाज मिलकर ही शिकस्त दे सकते हैं। यही वजह है कि उन्होंने इन वर्गों को जोड़ने के लिए पीडीए का गठन किया। इतना ही नहीं दलित और पिछड़ा वर्ग के महापुरुषों को सम्मान देने के लिए उन्होंने बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के नाम से लोहिया वाहिनी गठित की। इतना ही नहीं विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में भी अयोध्या और मेरठ जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर आरक्षित वर्ग के प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा। दलित समाज सपा-कांग्रेस गठबंधन के साथ जुड़ चुका है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण अयोध्या सीट पर सपा की जीत है। दलितों ने यह सीट जिताकर साफ कर दिया कि वह अब पूरी तरह से सपा के साथ हैं।
सवाल- विधानसभा चुनाव में बसपा के चुनाव मैदान में होने से सपा को कितना नुकसान होगा ?
जवाब- सपा को कोई नुकसान नहीं होगा। क्योंकि अब दलित समाज के लोग इस बात को अच्छी तरह से समझ चुके हैं कि अब बहन जी भाजपा को नहीं रोक सकतीं। भाजपा को सत्ता में आने से अखिलेश यादव ही रोक सकते हैं। यही वजह है कि वह पूरी तरह से सपा के साथ जुड़ गया है। हां ये सही है कि दलित समाज बहन जी से नाराज नहीं है, लेकिन उसे इस बात का पक्का यकीन हो गया है कि अब बसपा किसी भी कीमत पर अकेले मैदान में उतरकर भाजपा को नहीं रोक सकती। बल्कि इनके अकेले मैदान में उतरने का फायदा भाजपा को ही होगा।
सवाल- कांग्रेस से गठबंधन की वजह से यूपी में दलित सपा को वोट दे रहा है ?
जवाब- ऐसा नहीं है कि यूपी में सपा का जनाधार है, यहां हमारी पार्टी काफी मजबूत स्थिति में है और दलितों को भी इस बात का भरोसा है कि अखिलेश यादव ही यहां भाजपा को रोक सकते हैं। गठबंधन का फायदा कांग्रेस को हो रहा है और हम भाजपा को हराने के लिए समाजवादी पार्टी यहां कांग्रेस से मिलकर चुनाव लड़ेगी। बहुजन समाज के वोट को बिखरने से रोकने के लिए ये गठबंधन बहुत जरूरी है। लोकसभा चुनाव में इसी गठबंधन ने भाजपा की यूपी में बढ़त रोक दी और उसे सरकार बनाने के लिए दो बैशाखियों का सहारा लेना पड़ा।
सवाल- सपा का आरोप ईवीएम में गड़बड़ी पर रहता है, इसके लिए पार्टी ने कोई रणनीति तैयार की है?
जवाब- विधानसभा चुनाव में बहुजनों के वोट को लुटने से बचाने के लिए अम्बेडकर वाहिनी हर बूथ पर संगठन का यूथ तैनात कर रही है। ये युवा अपने बूथ पर सरकार द्वारा की जाने वाली किसी भी गड़बड़ी पर नजर रखेंगे और उसकी जानकरी वाहिनी के जिला अध्यक्ष को देंगे। ताकि इससे निर्वाचन आयोग को बताया जा सके।
सवाल- सपा किसी तरह का कोई सामाजिक आंदोलन चला रही है, या केवल चुनावी तैयारी में जुटी है ?
जवाब- सपा प्रमुख अखिलेश जी ने जाति के आधार पर दलितों और पिछड़ा वर्ग के लोगों के साथ हो रहे अपमान का हमेशा विरोध किया। दरअसल इन वर्गों के साथ हो रहे अन्याय और अत्याचार को रोकने के लिए ही उन्होंने पीडीए का गठन किया है। पिछड़े वर्ग में पैदा होने का दंश उन्होंने भी झेला है और वे इस बात को सार्वजनिक तौर पर कहते भी हैं। इटावा में यादव समाज के कथावाचक के साथ जाति के आधार पर हुई अभद्रता और अपमान पर भी उनका साफ कहना है कि दलित और पिछड़ा वर्ग के लोगों को इनके धार्मिक कार्यक्रमों से दूरी बनानी चाहिए। उनका यह भी कहना रहा है कि दलित और पिछड़ा वर्ग से कथा में चढ़ावा लेना सही है, लेकिन इस वर्ग द्वारा कथा वाचना धर्म विरुद्ध है। इन्हीं सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ वे बहुजन समाज को एकजुट करने के लिए अभियान चला रहे हैं।
सवाल- सपा सरकार के दौरान दलितों के हुए नुकसान पर आपकी क्या राय है ?
जवाब- हां ये सही है कि सपा के शासन में दलितों का नुकसान हुआ। इस बात का सपा प्रमुख को एहसास है और वे अपनी इन्हीं गलतियों को सुधारने में लगे हुए हैं। अपनी गलती का प्रायश्चित करने के लिए २०१९ में बसपा से गठबंधन किया और उनकी शर्तों को माना, गठबंधन बसपा ने तोड़ा। अगर ये गठबंधन कायम रहता तो आज न तो केन्द्र में और न ही यूपी में भाजपा की सरकार होती। अखिलेश जी ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि सरकार बनने पर वे अपनी गलतियों को सुधारेंगे। दलितों के साथ ही पिछड़ा वर्ग के लोगों के लिए प्रोमोशन में आरक्षण की व्यवस्था को लागू करेंगे। अगर २०२२ में सपा की सरकार बन गयी होती तो अभीतक काफी बदलाव हो चुका होता। २०२७ में सरकार बनने पर दलितों और पिछड़ा वर्ग के साथ ही अल्पसंख्यक समाज को भी उनके अधिकार मिलेंगे।
यह भी देखें :- नगर निगम 2 मई को आयोजित करेगा ‘संपूर्ण समाधान दिवस’
यह भी देखें :- TECHNICAL AYANSH for TECH VIDEO